महाकुंभ का परिचय
2025 लोगो के लिए अमृत के समान है क्युकी इस बार का कुम्भ 144 वर्ष के बाद आया है इसके पीछे बहुत कुछ है राज आइये जाने इस साल का महाकुंभ 2025 खास क्यों ?
1. माघ कुम्भ जो की हर 1 साल में 1 बार लगता है
2 कुम्भ मेला हर तीन साल में एक बार लगता है
3 अर्धकुम्भा मेला हर 6 साल में एक बार लगता है
4 पूर्ण कुम्भा मेला हर 12 साल में एक बार लगता है
5 और महाकुम्भ मेला 144 में एक बार लगता है
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जो की हमारे आपके परदादाओ ने भी नहीं देखा होगा इसलिए इसबार का स्नान अमृत के समान है जो भारत का धार्मिक आयोजन है
ये चार प्रमुख तीर्थ स्थलों— पे जैसे प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन व नासिक — में बड़े प्यार से आयोजित किया जाता है। इस बार 2025 में महाकुम्भ प्रयागराज में होगा, प्रयागराज में लाखों श्रद्धालु भक्त और साधु-संत पवित्र गंगा, यमुन, और सरस्वती संगम में स्नान करेंगे।
यह आयोजन हिन्दू धर्म के लोगो और अनुयायियों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसे आत्मिक शुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग माना जा रहा है।
महाकुंभ क्यों मनाया जाता है
महाकुम्भ के पीछे एक पौराणिक कहानी है और किताबो में भी लिखा है देवताओं और दानवों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था जिससे अमृत और बिष और भी बहुत कुछ मंथन से निकाला था
अमृत के लिए राक्षसों और देवताओं के बीच 12 दिनों तक युद्ध चला। कहा जाता है कि देवताओं और राक्षसों के बीच यह युद्ध 12 वर्षों तक चला। यही कारण है कि कुंभ मेला हर 12 साल में एक बार मनाया जाता है।
राक्षसों से अमृत की सुरक्षा के लिए भगवान विष्णु ने अमृत कलश गरुड़ राज को दे दिया। इस दौरान अमृत की कुछ बूंदें पृथ्वी पर गिरी जैसे की प्रयागराज, नासिक, हरिद्वार और उज्जैन । यही कारण है कि इन चार स्थानों पर कुंभ का आयोजन बहुत ही अच्छे से किया जाता

महाकुंभ मेले में भगदड़ क्यों मची
महाकुम्भ 2025 में मौनी अमावस्या के अवसर पर होने वाले स्नान को लेकर संगम पर भगदड़ मच गई इस हादसे के दौरान 30 लोगो की जान चली गई और कई लोग घायल हुए इस हादसे के बाद घटना स्थल पर लोगो का सामान बिखरा हुआ था

हादसे के कई आँखो देखे लोगो ने बतायी यह बात की आमने सामने के लोग इधर के उधर और उधर के लोग इधर भागने लगे जिससे हालत और गंभीर हो गए जिससे लोग आपस में टकराकर लोग घायल हो गए
महाकुंभ स्नान का महत्व
ऐसा माना जाता है कि यदि कोई व्यक्ति महाकुम्भ में स्नान करता है तब उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और वह अपने पापों से मुक्त हो जाता है साथ ही व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है इसलिए माना जाता है
कि अगर कोई कुंभ स्नान करता है इसके दर्शन करने से पितृ भी शांत हो जाते हैं। व्यक्ति पर कृपा बनी रहती है प्रयागराज संगम त्रिवेणी पर महाकुम्भ की तैयारी यह शास्त्रानुसार जोरों से चल रहा है 12 साल बाद शुरू हो रहा है
महाकुंभ 13 जनवरी 2025 से स्नान से ही होगा महाकुम्भ मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष भी मिलता है।अलग-अलग जगहों पर महाकुम्भ में साधु संत ने अपने दोनों अखाड़ों के साथ गंगा स्नान किया.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हम बिना अखाड़ों के ही महाकुंभ में पहुंचते हैं। महाकुम्भ का आयोजन अधूरा माना जाता है अगर आप इसमें विश्वास करते है तो आपको प्रयागराज जरूर जाना चाहिए
अगला महाकुम्भ 2032 में लगेगा। महाकुंभ हर 12 साल में एक बार होता है, और यह इलाहाबाद (प्रयागराज), हरिद्वार, उचहिन, और नासिक जैसे प्रमुख स्थानों पर आयोजित होता है। क्योंकि यह 12 साल के अंतराल पर आयोजित होता है, और 2032 में प्रयागराज में महाकुंभ होगा।